Sugarcane गन्ने की फसल में लगने वाले मुख्य रोग एवं उपचार
Sugarcane Ganna aap | Ganna parchi| Ganna enquiry |Ganna Calendar 2023-24| Cane up.loin Cane up |e ganna app download e-ganna app parchi e ganna up e-ganna calendar e ganna app e ganna गन्ने की फसल के सफल उत्पादन एवं उत्पादकता को बनाये रखने के लिए रोग प्रबंधन का विशेष महत्व है। यह लंबी अवधि की फसल है. गन्ने की फसल एक ही खेत में उगाई जाती है और इसका प्रसार भी गन्ने के टुकड़े लगाकर किया जाता है, जिससे रोग पनपने और फैलने की संभावना रहती है। बीमारियों पर नियंत्रण के लिए उनकी पहचान के लक्षण जानना जरूरी है। आज के बदलते परिवेश में यह आवश्यक हो गया है कि गन्ने की खेती में रोगों का एकीकृत प्रबंधन वैज्ञानिक पद्धति से किया जाए, ताकि गन्ने की खेती में अधिक से अधिक लाभ लिया जा सके।
क्रमांक रोग
1 लाल सड़न रोग (रेड रॉट)
2 कण्डुआ (स्मट)
3 बिज्ट
4 ग्रासीसूट : एल्बिनो
सेट राॅट
इस रोग का कारक सेराटोसिस्टिस पैराडोक्सा ( Ceratocystis Paradoxa ) है जो एक प्रकार का कवक है। इस रोग के कारण गन्ने के संक्रमित अंकुर सड़ जाते हैं और नए तने सूख जाते हैं, जिससे खेत में पौधों के बीच की दूरी बढ़ जाती है। जब अंदरूनी ऊतक फट जाता है तो इसका रंग लाल दिखाई देता है और इसमें अनानास जैसी गंध आती है। इसका प्रकोप बाद की अवस्था में भी होता है।
प्रसार
गन्ने का बीज और मिट्टी
कण्डरा रोग (Tuber Disease)
यह रोग स्पोरिसोरियम सीटामिनम ( Sporisorium Cetaminum) नामक कवक के कारण होता है। इसकी विशेष पहचान यह है कि इसमें पौधे से कोड़े की तरह काले रंग की संरचना निकलती है। यह प्रारंभ में एक पतली झिल्ली से ढका होता है। बाद में यह फट जाता है और काला पाउडर, जिसमें कवक के बीजाणु होते हैं, पौधे और जमीन पर फैल जाता है। ये बीजाणु आगे फैलते हैं और गन्ने और गन्ने की फसलों में द्वितीयक संक्रमण का कारण बनते हैं। इससे गन्ने की संख्या एवं रस की मात्रा कम हो जाती है। झुरमुट या टिलर से निकलने वाले गन्ने संक्रमित हो जाते हैं। यदि ऐसे गन्ने का उपयोग बीज के रूप में किया जाए तो अगली फसल में इस रोग का प्रकोप बढ़ जाता है।
रोग दिखाई देने का माह
अप्रैल-जून एवं सितंबर-नवंबर
प्रसार
रोगग्रसित बीज
दिखाई देने का समय
वर्षा ऋतु के उपरांत।
प्रसार
गन्ने के टुकड़े, फसल अवशेष, बाढ़ व सिंचाई पानी।
उकठा रोग (Canker Sores)
यह रोग फ्यूजेरियम सेकरोई नामक फफूंदी ( Mildew) से होता है। इस रोग के प्रमुख लक्षण खड़ी फसल में गन्ने के पौधों का पीला पड़ना, सूख जाना आदि हैं। उकठा रोग से ग्रसित गन्ना अंदर से खोखला हो जाता है व अंदर के ऊतक लाल भूरे रंग का दिखाई देता है। इससे गन्ने के भार में बहुत कमी आ जाती है।
रोग दिखाई देने का समय
वर्षा ऋतु उपरांत।
प्रसार
संक्रमित बीज, मृदा व सिंचाई पानी के माध्यम से होता है।
पोक्का बोइंग रोग ( Pokka Boing Disease )

यह रोग फ्यूजेरियम ऑक्सीस्पोरम ( Fusarium Oxysporum )नामक फफूंदी से होता है। इसके प्रभाव से ऊपर से निकलने वाली पत्तियां विकृत हो जाती हैं। पत्तियां आपस में चिपकी हुई व चूड़ीदार निकलती हैं एवं उस भाग में हरापन नहीं होता। इस रोग की तीव्रता अधिक होने पर ऊपरी भाग में स़ड़न तक हो सकती है।
रोग दिखाई देने का समय
वर्षा ऋतु के आरंभ के साथ।
प्रसार
बीज व हवा द्वारा
घासीय प्ररोह रोग ( Grass Shoot Disease )
यह माइकोप्लाज्मा ( Mycoplasma )के समान सूक्ष्मजीव से होने वाला रोग है। इसके कारण संक्रमित गन्ने से बहुत सारे पतले प्ररोह व तने निकलते हैं, जिनमें हरापन नहीं होता है। यह पूरा समूह घास के समान दिखाई देता है। इस रोग से ग्रसित समूह में गन्ने नहीं बनते या छोटे पतले आकार के बनते हैं।
रोग दिखाई देने का समय
प्रारंभिक अवस्था से लेकर गन्ना बनने की अवस्था तक।
प्रसार
रोगग्रसित बीज
पीला पत्ती रोग ( Yellow Leaf Disease )
Diseased रोगग्रसित बीज पीला पत्ती रोग यह एक विषाणुजनित रोग है, जिसका प्रारंभिक कारक शुगरकेन येलो लीफ वायरस होता है। इस रोग में पौधे की पत्तियों की मध्य शिरा ऊपर से पीली होनी शुरू होती है व इसका पीलापन बढ़ता जाता है। इसके लक्षण 6-8 माह के गन्ने में दिखाई देते हैं। इस रोग की अधिक तीव्रता में पत्तियां ऊपर से नीचे की ओर सूखती जाती हैं। इसके प्रकोप से गन्ने के ऊपरी भाग की इंटरनोड छोटी हो जाती है। हाल के दिनों में इस रोग का प्रकोप बहुत तेजी से बढ़ रहा है।
प्रसार
संक्रमित बीज व माहूं कीट ( Infested Seeds and Aphids )
गन्ने के रोगों का एकीकृत प्रबंधन
बीज
किसी भी रोग से ग्रसित गन्ने को बीज के रूप में उपयोग न करें। प्रमाणित व अपने क्षेत्र के लिये संस्तुत प्रजाति का ही प्रयोग करें।
बीज शोधन
कार्बेन्डाजिम (0.2 प्रतिशत) के घोल में 15-20 मिनट तक गन्ने के टुकड़ों को डुबोयें एवं इसके बाद बुआई करें। यह उपचार फफूंदी रोग से बचाव में लाभकारी होता है।
ऐरेटेड स्टीम थेरेपी (गर्म-गर्म उपचार)
घासीय प्ररोह रोग व पेड़ी संकुचन रोग के कारकों को निष्क्रिय करने के लिये इस विधि से 50 डिग्री तापमान पर 1 घंटे तक बीज का उपचार करें।
गन्ने बुआई के समय ( Sugarcane Planting Time )
खेत तैयार करते समय सभी फसल अव…
वर्षा ऋतु या उसके उपरांत ऐसे पौधे, जिनकी ऊपरी पत्तियां पीली पड़ रही हैं या सूख रही हो, उसे तुरंत पफाड़कर देखें और लाल सड़़न के निश्चित होने पर पूरे थान को जड़ से उखाड़कर दूर ले जाकर जला दें। खेत की मेड़बंदी कर वर्षा या सिंचाई के पानी को समीप के स्वस्थ गन्ने के खेत में न जाने दें। कंडवा से ग्रसित कल्ले वर्षाकाल समाप्त होने के पश्चात पिफर निकलते हैं। इन्हें देखते ही काटकर बोरों में बंद करके जला दें। इसी तरह उकठा से ग्रसित गन्नों को भी काटकर नष्ट करें।
पेड़ी फसल में प्रबंधन ( Management in Tree Crops )
गन्ने की पहली फसल में रोग-व्याधि होने पर इसकी समस्या पेड़ी फसल में बढ़ती जाती है। अतः पेड़ी लेने के लिए विशेष सावधानी बरतनी चाहिये।
- पेड़ी फसल लेने के लिए गन्ने की कटाई सतह से करनी चाहिये।
- ठूंठाें व फसल अवशेषों को नष्ट कर देना चाहिये।
- यदि लाल सड़न, उकठा और कंडवा रोग का प्रकोप अधिक हो तो प्रथम पेड़ी व दूसरी पेड़ी लेना लाभकारी नहीं होगा।
- यदि कंडवा रोग का प्रकोप हो, तो खेत में सिंचाई करते रहना लाभकारी होता है।
- किसी भी प्रकार के रोग से ग्रसित पौधों को तुरंत उखाड़कर खेत से अलग कर देना चाहिये।स्त्राेत : खेती पत्रिका(भा.कृ.अनु.प.) दिनेश कुमार पंचेश्वर, रमेश अमुले, मोनिका सिंह, बी.के. शर्मा और आशीष तिवारी’ गन्ना अनुसंधान केन्द्र, बोहानी, नरसिंहपुर, जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर (मध्य प्रदेश)